तत्काल व्यवस्था के तहत 10 दिनों में तो सामान्य स्थिति में 30 दिनों में होगी जमीन मापी
पटना, ब्यूरो। अब बिहार में भू धारियों को सरकारी अमिन से जमीन मापी के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पहले की भांति भूमापी के लिए अंचल में आवेदन देकर महीनों अंचल के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि बिहार सरकार द्वारा एक ऐसा कानून पारित किया गया है जो अधिकारीयों के मनमाने रवैये पर लगाम लगाने में कारगर होगा।
बिहार में पहली बार जमीन मापी में समय सीमा व्यवस्था लागू की गई है। रैयतों की जमीन मापी की तत्काल व्यवस्था में मापी 10 दिनों में होगी। वहीं, सामान्य मापी के लिए अधिकतम 30 दिनों की समयसीमा तय कर दी गई है। इन दोनों व्यवस्था के लिए सरकार ने दरें भी तय कर दी है।
विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा के आदेश से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गयी है। नया प्रावधान तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने बिहार काश्तकारी नियमावली, 1985 में संशोधन किया है। इसके बाद बिहार काश्तकारी (संशोधन) नियमावली 2023 को लागू किया है।
भूमिहीन परिवारों के लिए मुफ्त व्यवस्था राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अनुसार बासहीन भूमिहीन परिवारों, व्यक्तियों को बंदोबस्त या आवंटित किसी खेसरा-भूखंड की मापी मुफ्त होगी। रैयती जमीन की तत्काल व्यवस्था के तहत आवेदन के बाद 10 दिनों में मापी होगी।
इसके लिए शहरी क्षेत्रों में प्रति खेसरा 2000 रुपये जबकि चार या उससे अधिक खेसरों के लिए 8000 रुपये देने होंगे। ग्रामीण इलाकों में प्रति खेसरा 1000 रुपये जबकि 4000 रुपये चार व उससे अधिक खेसरा होने पर देय होगा।
सामान्य मापी दर सामान्य मापी के लिए राशि जमा के बाद 30 कार्यदिनों में मापी प्रक्रिया पूरी करनी होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में इसके लिए 500 रुपये प्रति खेसरा देना होगा। चार या अधिक खेसरों के लिए 2000 रुपये देने होंगे।
नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायतों में प्रति खेसरा 1000 रुपये देने होंगे, जबकि चार या अधिक खेसरों के लिए 4000 रुपये लगेंगे। राशि ऑफलाइन या ऑनलाइन जमा की जा सकेगी।
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