पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जारी किया आदेश
पटना। राज्य में वंशावली प्रमाण पत्र सरपंच ही जारी करेंगे। इस संबंध में पंचायती राज विभाग ने बुधवार को आदेश जारी कर दिया। विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों, उप विकास आयुक्तों, जिला परिषद और जिला पंचायत राज पदाधिकारियों को पत्र भेजा है।
इसमें कहा गया है कि जिस व्यक्ति को वंशावली प्रमाणपत्र की आवश्यकता है, वह शपथपत्र पर अपनी वंशावली का विवरण और स्थानीय निवासी होने के साक्ष्य के साथ लिखित आवेदन संबंधित ग्राम पंचायत के सचिव को देंगे। सचिव अधिकतम सात दिनों के अंदर जांच करने के बाद इसकी अनुशंसा ग्राम कचहरी को करेंगे।
ग्राम कचहरी सचिव, पंचायत सचिव से प्राप्त आवेदनों को अपने स्तर पर संधारित पंजी में पूर्ण विवरण के साथ दर्ज करेंगे। उसे अविलंब ग्राम कचहरी के सरपंच के पास स्वीकृति के लिए भेजेंगे। सरपंच उस आवेदन की छायाप्रति कराकर ग्राम कचहरी के किसी स्थान पर चिपकाते हुए आमलोगों से सात दिनों के अंदर आपत्ति आमंत्रित करेंगे। आपत्ति प्राप्त नहीं होने पर सरपंच प्रपत्र में अपने सील-मुहर और हस्ताक्षर के साथ वंशावली निर्गत करेंगे। सूचना पट्ट पर प्रदर्शित आवेदन पर कोई आपत्ति प्राप्त होती है तो सरपंच उस आवेदन पत्र पर सार्वजनिक सुनवाई कर उचित निर्णय लेंगे।
करीब छह माह से उलझा था मामलाः राज्य में करीब छह महीने
दो प्रतियों में तैयार होगा यह प्रमाणपत्र
वंशावली दो प्रतियों में तैयार की जाएगी। वंशावली की दोनों प्रतियां सभी कागजात सहित ग्राम पंचायत सचिव को वापस कर दी जाएगी। ग्राम कचहरी सचिव उक्त = वंशावली की छायाप्रति
अपने कार्यालय अभिलेख के रूप में सुरक्षित रख सकेंगे। सरपंच से वंशावली प्राप्त हो जाने पर पंचायत सचिव एक प्रति पर अपना हस्ताक्षर कर दूसरी प्रति में आवेदक का हस्ताक्षर प्राप्त कर उसे सौंप देंगे। दूसरी प्रति के आधार पर पारिवारिक पंजी में उसका पूर्ण विवरण अंकित करेंगे। दूसरी प्रति तथा मूल आवेदन को
ग्राम पंचायत कार्यालय में सुरक्षित रखा जाएगा।
पहले पंचायती राज विभाग ने सभी सरपंचों से वंशावली बनाने का अधिकार हटाने से संबंधित अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद से राज्य में इस दस्तावेज के बनाने का काम तकरीबन बंद हो गया है। म तकरीबन बंद हो गया है। पंचायती
10 रुपये शुल्क पंचायत कार्यालय में देना होगा
वंशावली बनाने के लिए आवेदन के साथ नकद दस रुपये पंचायत कार्यालय में देने होंगे। पंचायत सचिव इस शुल्क के एवज में आवेदक को रसीद देंगे। यह शुल्क राशि पंचायत निधि का हिस्सा बनेगी। पंचायत सचिव ऐसे हर आवेदन का विवरण को संधारित पंजी में दर्ज करेंगे। दोबारा वंशावली निर्गत करने के लिए आवेदक को पंचायत सचिव के पास 100 रुपये का शुल्क जमा करना होगा। पंचायत सचिव अपनी अनुशंसा संबंधित कागज से संतुष्ट होकर सील-मुहर और तिथि के साथ ग्राम कचहरी को करेंगे। अग्रसारित आवेदन की छायाप्रति पंचायत सचिव अपने कार्यालय में सुरक्षित रखेंगे।
15 दिनों में निर्णय की बाध्यता होगी
पंचायत सचिव के द्वारा ग्राम कचहरी सचिव को अपनी अनुशंसा समर्पित करने की तिथि से अधिकतम 15 दिनों के अंदर सरपंच को वंशावली पर अंतिम निर्णय लेने की बाध्यता होगी। बाद में ऐसे सभी प्रमाणपत्रों को
आरटीपीएस के अंतर्गत ऑनलाइन करने की व्यवस्था भी की जाएगी। इस संबंध में अलग से आदेश जारी होगा। पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी, प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी और जिला पंचायत राज पदाधिकारी समय- समय पर जांच कर यह सुनिश्चित करेंगे कि वंशावली बनाने की प्रक्रिया का अक्षरश: पालन हो रहा है या नहीं।
राज विभाग ने इस दस्तावेज को बनाने में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से परामर्श लेने की बात कहते हुए सभी डीएम को करीब 15 दिन पहले पहले एक पत्र भी लिखा था। इसके बाद दो विभागों के बीच यह मामला उलझ
स्थानीय निवासी के लिए ये प्रमाणपत्र जरूरी
जिस व्यक्ति को वंशावली की आवश्यकता है, उसे संबंधित ग्राम पंचायत के किसी गांव का स्थानीय निवासी होना आवश्यक है। स्थानीय निवासी को इनमें एक प्रमाणत्र जरूरी है: ग्राम पंचायत कार्यालय में पंचायत सचिव द्वारा संधारित पारिवारिक पंजी में उस व्यक्ति के परिवार का विवरण। पूर्वज के जमीन
का खतियान, बासगीत पर्चा। आधारकार्ड जिसमें आवेदक का पता दर्ज हो। यदि अभ्यर्थी के पास जमीन नहीं हो तो ग्राम का वोटर लिस्ट जिसमें उनका और उनके परिवार का नाम हो। सक्षम प्राधिकार द्वारा पूर्व में निर्गत निवास प्रमाणपत्र। मैट्रिक अथवा अन्य कक्षा का नामांकन प्रमाणपत्र।
गया। हाल में दोनों विभागों के अलावा ग्रामीण विकास विभाग के वरीय अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक हुई है। हुई है। वंशावली नहीं ब हीं बनने के कारण जमीन अधिग्रहण के मामलों में सबसे ज्यादा समस्या आ रही थी।
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