इस धारा के अनुसार,
चोरी के मामले में, यदि चोरी करते समय अपराधी कोई चोट पहुंचाता है, मौत की धमकी देता है, या ऐसा डर पैदा करता है जिससे व्यक्ति अपनी संपत्ति छोड़ने के लिए मजबूर हो, तो यह डकैती मानी जाएगी।
लूटपाट, (extortion) के मामले में यदि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को छोड़ने या संपत्ति का अधिकार किसी और को स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया जाता है, और इस प्रक्रिया में उसे डराया, धमकाया, या चोट पहुंचाई जाती है, तो यह भी डकैती के अंतर्गत आता है। संक्षेप में, जब चोरी या लूटपाट में बल या हिंसा का उपयोग होता है, तो वह डकैती कहलाती है।
डकैती और चोरी में अंतर?
डकैती, और चोरी भारतीय दण्ड संहिता (IPC) के तहत दो अलग-अलग अपराध हैं, जिनके बीच मुख्य अंतर उनके होने की स्थिति, विधि, और गंभीरता में है। आइए दोनों के बीच के अंतर को विस्तार से समझते हैं
परिभाषा चोरी, (Theft) - IPC धारा 378: चोरी तब होती है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति को बिना उसकी अनुमति के चुपचाप ले लेता है और ऐसा करने में किसी प्रकार का बल प्रयोग या धमकी नहीं देता। इसमें संपत्ति को स्वेच्छा से, बिना अनुमति के और गुप्त रूप से हटा लिया जाता है।
डकैती ,(Robbery) - IPC धारा 390: डकैती, चोरी या लूटपाट (extortion) का एक उग्र रूप है, जिसमें बल, डराने-धमकाने, या हिंसा का उपयोग किया जाता है। जब चोरी या लूटपाट करते समय बल प्रयोग किया जाता है, तो वह डकैती कहलाती है। इसके अलावा, यदि पाँच या उससे अधिक लोग किसी जगह पर हमला करते हैं या चोरी करते हैं, तो उसे भी डकैती माना जाता है।
बल और हिंसा, चोरी चोरी में बल का उपयोग नहीं होता। यह बिना बल प्रयोग के, गुप्त रूप से किया जाता है। डकैती में बल, डर, हिंसा या धमकी का प्रयोग किया जाता है। यह आमतौर पर चोरी या लूटपाट के दौरान होता है।
लोगों की संख्या,
चोरी ,चोरी में कितने भी लोग शामिल हो सकते हैं, लेकिन इसका सीधा संबंध चोरी की परिभाषा से होता है।
डकैती ,यदि किसी अपराध में पाँच या उससे अधिक लोग शामिल हों, और वे चोरी या लूटपाट करें, तो उसे कानूनी रूप से डकैती माना जाता है।
गंभीरता चोरी, चोरी अपेक्षाकृत कम गंभीर अपराध है, क्योंकि इसमें कोई हिंसा या बल प्रयोग नहीं होता।
डकैती, डकैती एक अधिक गंभीर अपराध है, क्योंकि इसमें हिंसा, धमकी, या बल प्रयोग होता है। डकैती के मामलों में सज़ा भी कड़ी होती है।
सज़ा,
चोरी भारतीय दण्ड संहिता के तहत चोरी की सज़ा तीन साल तक की कैद या जुर्माना, या दोनों हो सकती है।डकैती: डकैती के लिए सज़ा कठोर होती है। IPC धारा 392 के तहत, डकैती के लिए 10 साल तक की सज़ा या आजीवन कारावास हो सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यदि डकैती के दौरान किसी की हत्या होती है, तो IPC धारा 396 के अनुसार, अपराधियों को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सज़ा हो सकती है। चोरी एक गैर-हिंसक अपराध है जिसमें संपत्ति को बिना अनुमति के ले लिया जाता है, जबकि डकैती में बल, हिंसा या धमकी का उपयोग होता है, और इसमें पांच या उससे अधिक लोगों का शामिल होना भी एक प्रमुख अंतर है।
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