भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 361 क्या है।

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 361 क्या है।

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 361 का संबंध अपहरण से है। यह धारा किसी नाबालिग या संरक्षित व्यक्ति को उसके अभिभावक की अनुमति के बिना अपने कब्जे में लेने या अपने साथ ले जाने के कार्य को अपराध मानती है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 361 का संबंध नाबालिग या संरक्षित व्यक्ति का अपहरण करने से है। इसका उद्देश्य बच्चों और संरक्षित व्यक्तियों (जैसे कि अभिभावक के संरक्षण में रहने वाले लोग) को जबरदस्ती अपने नियंत्रण में लेने से रोकना है।

धारा 361 की परिभाषा

धारा 361 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति नाबालिग (लड़की की उम्र 18 साल से कम और लड़के की उम्र 16 साल से कम हो) या किसी ऐसे व्यक्ति को, जो किसी अभिभावक के संरक्षण में हो, उसकी अनुमति के बिना अपने कब्जे में लेता है, तो इसे अपहरण माना जाता है।

इसमें शामिल प्रमुख बिंदु हैं।

नाबालिग का संरक्षण से हटाना: यदि कोई नाबालिग या संरक्षित व्यक्ति अभिभावक के संरक्षण में है और उसे उस संरक्षण से हटाया या ले जाया जाता है, तो यह धारा लागू होती है।

अभिभावक की अनुमति के बिना ले जाना: नाबालिग को अपने साथ ले जाने के लिए यदि अभिभावक की अनुमति नहीं है, तो इसे अपराध माना जाता है।

अपहरण का उद्देश्य: इस धारा के अंतर्गत किसी भी प्रकार के गैरकानूनी उद्देश्यों के लिए अपहरण का मामला दर्ज किया जा सकता है।

सज़ा। भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के अनुसार, धारा 361 के अंतर्गत अपहरण करने वाले व्यक्ति को 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

×